मेघालय बना निक्षय मित्र! TB मुक्त भारत की दिशा में बड़ा कदम

भारत में टीबी के खिलाफ युद्ध तेज हो रहा है, खासकर मेघालय में, जहां राज्य सरकार ने इस दिशा में कई प्रभावशाली कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान की 100 दिन की सफलता के बाद, केंद्र सरकार ने अब 300 दिनों तक इस अभियान को जारी रखने का निर्णय लिया है।

टीबी की स्थिति में सुधार

भारत में टीबी की घटना दर 2015 में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 237 से घटकर 2023 में 195 हो गई है। इसी तरह, टीबी से होने वाली मौतों में भी कमी आई है, जो 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 प्रतिशत थी, अब यह 22 प्रतिशत रह गई है।

मेघालय की विशेष पहल

मेघालय ने टीबी के खिलाफ निक्षय मित्र कार्यक्रम के तहत महत्वपूर्ण पहल की है। राज्य सरकार हर टीबी मरीज और उनके परिवार को 10 किलो चावल, 3 किलो दाल, 2 किलो राजमा और 30 अंडों का ट्रे प्रदान कर रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के सचिव रामकुमार एस, जो खुद टीबी से उबर चुके हैं, ने बताया कि यह योजना मरीजों को आवश्यक पोषण प्रदान करने के लिए बनाई गई है।

टीबी चैंपियन का उदय

रामकुमार एस ने बताया कि जागरूकता फैलाना महत्वपूर्ण है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्होंने इस बीमारी का अनुभव किया है। मेघालय की शुलाई नामक महिला ने एक फेफड़ा खोने के बाद टीबी चैंपियन बनकर दूसरों की मदद करना शुरू किया है।

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नई तकनीकों का उपयोग

टीबी उन्मूलन के लिए समुदाय आधारित स्क्रीनिंग और निदान में हैंडहेल्ड एक्स-रे तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा, न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (NAAT) मशीनों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जिससे टीबी रोगियों का जल्दी पता लगाया जा सकता है।

लाइटोइर डिस्ट्रिक्ट की विशेषताएँ

मेघालय के लाइटोइर डिस्ट्रिक्ट में वैलनेस सेंटर स्थापित किए गए हैं, जो दूर-दराज के इलाकों में स्पुटम कलेक्शन में सहायक हैं। ये सेंटर बिजली न होने पर भी बर्फ का उपयोग करके कार्य करते हैं, जिससे टीबी का जल्दी पता लगाया जा सके।

FAQs

  1. टीबी मुक्त अभियान का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    इसका उद्देश्य भारत को टीबी मुक्त बनाना और इस बीमारी के खिलाफ जागरूकता फैलाना है।
  2. मेघालय में टीबी मरीजों को क्या सहायता मिलती है?
    मेघालय सरकार प्रत्येक टीबी मरीज को पोषण किट प्रदान करती है जिसमें चावल, दाल और अंडे शामिल होते हैं।
  3. हैंडहेल्ड एक्स-रे तकनीक कैसे मददगार है?
    यह तकनीक जल्दी और सटीक निदान करने में मदद करती है, जिससे टीबी रोगियों की पहचान तेजी से हो सकती है।

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