बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत किसी व्यक्ति को मिली राशि को मोटर वाहन अधिनियम के तहत चिकित्सा खर्च के लिए दावेदार को मिलने वाले मुआवजे से नहीं काटा जा सकता। यह फैसला न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुरकर, मिलिंद जाधव और गौरी गोडसे की पूर्ण पीठ ने 28 मार्च 2025 को सुनाया।
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फैसले का सारांश
- मेडिक्लेम राशि की कटौती: अदालत ने स्पष्ट किया कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत दावेदार द्वारा प्राप्त राशि की कटौती स्वीकार्य नहीं है। यह राशि बीमा कंपनी के साथ किए गए अनुबंध के अनुसार प्राप्त होती है।
- मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण: कोर्ट ने कहा कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण को उचित मुआवजा देने का अधिकार है, और यह उसका कर्तव्य भी है।
- बीमा कंपनी का दावा: न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने यह तर्क दिया था कि चिकित्सा व्यय भी मेडिक्लेम पॉलिसी के हिस्से में आता है, और यदि दोनों से मुआवजा दिया जाता है तो यह दोगुना मुआवजा होगा। लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया।
अदालत का दृष्टिकोण
अदालत ने कहा कि बीमा भुगतान बीमित व्यक्ति और बीमा कंपनी के बीच एक संविदात्मक संबंध का परिणाम होता है। इस संबंध में, बीमाधारक द्वारा प्रीमियम का भुगतान किया जाता है, और उसे उस राशि पर अधिकार होता है जो उसे मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत मिलती है।
निष्कर्ष
इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि दुर्घटना के मामले में पीड़ितों को मेडिक्लेम पॉलिसी से मिली राशि को मुआवजे से नहीं घटाया जा सकता। यह फैसला विभिन्न निचली अदालतों में हो रहे विवादों पर विराम लगाता है और पीड़ितों को उनके अधिकारों की सुरक्षा करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. क्या मेडिक्लेम राशि को मुआवजे से काटा जा सकता है?
नहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मेडिक्लेम राशि को मुआवजे से नहीं काटा जा सकता।
2. यह फैसला किस मामले पर आधारित था?
यह फैसला न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी द्वारा मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के निर्णय के खिलाफ दायर अपील पर आधारित था।
3. क्या इस फैसले से अन्य मामलों पर प्रभाव पड़ेगा?
हाँ, यह निर्णय अन्य मामलों में भी महत्वपूर्ण precedents स्थापित करेगा जहाँ मेडिक्लेम और मुआवजे का मुद्दा उठता है।