लकवाग्रस्त मरीज फिर चले! वैज्ञानिक चमत्कार ने बदली जिंदगी!

चीन के वैज्ञानिकों ने लकवाग्रस्त व्यक्तियों के लिए एक अद्भुत सफलता हासिल की है, जिससे चार मरीजों को केवल कुछ घंटों में अपने पैरों को फिर से हिलाने में मदद मिली है। शंघाई के फुदान विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने बिना किसी बड़े ऑपरेशन के, केवल छोटे से सर्जरी के माध्यम से यह चमत्कार किया। पहले जो लोग व्हीलचेयर तक सीमित थे, वे अब दो हफ्तों में चलने लगे हैं।

लकवे का सफल उपचार

फुदान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस नई तकनीक का उपयोग करते हुए चार मरीजों को उनके पैरों की हरकत लौटाई। यह तकनीक “न्यूरल रिमॉडलिंग” कहलाती है, जिसमें मरीजों के दिमाग और रीढ़ की हड्डी में छोटे इलेक्ट्रोड चिप्स लगाए जाते हैं। ये चिप्स उस तंत्रिका प्रणाली को सक्रिय कर देते हैं, जो चोट लगने के कारण काम करना बंद कर देती है।

चिकित्सा प्रक्रिया

सर्जरी में दो 1 मिमी आकार के इलेक्ट्रोड चिप्स मरीजों के दिमाग में लगाए गए और एक स्टिम्युलेटर चिप रीढ़ की हड्डी में स्थापित किया गया। इस प्रक्रिया को पूरा करने में केवल चार घंटे लगे। सर्जरी के 24 घंटे बाद, मरीजों ने अपने पैरों को हिलाना शुरू कर दिया और दो हफ्तों में वे खुद से खड़े होकर चलने लगे।

उम्मीद की किरण

चीन में 37 लाख से अधिक लोग रीढ़ की हड्डी में चोट के कारण लकवाग्रस्त हैं। इस नई तकनीक से लाखों लोगों को उम्मीद मिल सकती है कि वे फिर से सामान्य जीवन जी सकेंगे। प्रमुख वैज्ञानिक जिया फूमिन ने कहा कि अगर मरीज को रीढ़ की हड्डी में इंटरफेस लगाया जाए और सही रीहैबिलिटेशन ट्रेनिंग दी जाए, तो नसें आपस में जुड़ सकती हैं।

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यह खोज न केवल चिकित्सा विज्ञान की एक महत्वपूर्ण प्रगति है, बल्कि यह उन लाखों लोगों के लिए भी एक नई उम्मीद है जो लंबे समय से लकवाग्रस्त हैं।

FAQ

  • क्या यह तकनीक सभी लकवाग्रस्त लोगों पर लागू होती है?
    नहीं, यह तकनीक विशेष रूप से उन लोगों पर लागू होती है जिनकी चोटें इस प्रक्रिया के लिए उपयुक्त हैं।
  • क्या सर्जरी के बाद मरीज तुरंत चल सकते हैं?
    सर्जरी के बाद कुछ मरीज 24 घंटे में अपने पैरों को हिलाना शुरू कर देते हैं, लेकिन चलने में कुछ समय लग सकता है।
  • क्या इस तकनीक से स्थायी सुधार संभव है?
    हां, यदि सही रीहैबिलिटेशन ट्रेनिंग दी जाए तो नसें आपस में जुड़ सकती हैं और स्थायी सुधार संभव हो सकता है।

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