1 अप्रैल से खत्म! Google-Facebook पर टैक्स, ट्रंप टैरिफ का डर मिटा

भारत ने 1 अप्रैल से गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों द्वारा लगाए गए 6 प्रतिशत समकक्ष लेवी (Equalisation Levy) को हटाने का निर्णय लिया है। यह कदम अमेरिका से संभावित प्रतिशोधी टैरिफ की आशंका के बीच उठाया गया है। अमेरिका ने भारत से आयातित सामानों पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिससे भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है।

भारत सरकार का यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?

  1. व्यापारिक संबंधों में सुधार: यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों को सुधारने में मदद कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा और व्यापार वार्ता को आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
  2. अमेरिका का दबाव: अमेरिका ने भारत द्वारा लगाए गए समकक्ष लेवी पर कड़ी आपत्ति जताई थी, और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे को लेकर वैश्विक कर समझौते से हाथ खींच लिया था। अमेरिका की चेतावनी थी कि यदि भारत ने यह लेवी खत्म नहीं की, तो वह भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगा सकता है।
  3. टैरिफ विवाद का समाधान: इस कदम से भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ विवाद को सुलझाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत मिलता है। यदि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता सफल होती है, तो इससे द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हो सकती है।
  4. व्यापार समझौते की संभावना: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की बातचीत चल रही है, जिसमें आयात शुल्क को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस प्रकार का समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
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निष्कर्ष

भारत का यह निर्णय न केवल अमेरिकी दबाव के जवाब में आया है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने का एक प्रयास भी है। यदि सभी पक्ष इस दिशा में सकारात्मक रूप से आगे बढ़ते हैं, तो इससे भविष्य में व्यापारिक संबंधों में सुधार देखने को मिल सकता है।

FAQ

1. समकक्ष लेवी क्या होती है?
समकक्ष लेवी एक प्रकार का कर होता है जो विदेशी कंपनियों पर लगाया जाता है, जो भारत में डिजिटल सेवाएं प्रदान करती हैं।

2. क्या अमेरिका ने भारत पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी?
हाँ, अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी यदि भारत ने समकक्ष लेवी को समाप्त नहीं किया।

3. क्या इस निर्णय से भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्ते सुधरेंगे?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों को सुधारने में मददगार हो सकता है।


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