ATM से UPI तक बदलेंगे नियम! जानें कैसे पड़ेगा आप पर असर

नई वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत के साथ, भारत में बैंकिंग, टैक्स और डिजिटल ट्रांजैक्शन से जुड़े कई नियमों में बदलाव होने जा रहे हैं। ये बदलाव ग्राहकों की जेब पर सीधा असर डालेंगे। आइए जानते हैं इन नए नियमों के बारे में:

1. एटीएम से पैसे निकालना महंगा होगा

आरबीआई के नए नियमों के तहत, अब दूसरे बैंकों के एटीएम से महीने में केवल तीन बार ही मुफ्त में पैसे निकाले जा सकेंगे। इसके बाद हर ट्रांजैक्शन पर ₹20-₹25 का शुल्क लगेगा।

2. बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस अनिवार्य

अगर बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस नहीं रखा गया, तो बैंक जुर्माना वसूल सकता है। यह सीमा अलग-अलग बैंकों के लिए भिन्न होगी, इसलिए ग्राहकों को अपने बैंक की नई नीतियों की जानकारी लेनी चाहिए।

3. चेक पेमेंट के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम (PPS) लागू होगा

₹50,000 से अधिक के चेक जारी करने पर ग्राहकों को पहले से बैंक को जानकारी देनी होगी। यह सिस्टम चेक धोखाधड़ी रोकने के लिए लागू किया गया है।

4. डिजिटल बैंकिंग में AI का बढ़ेगा उपयोग

बैंक अब AI पावर्ड चैटबॉट, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के जरिए सुरक्षा बढ़ाएंगे और ग्राहकों को बेहतर डिजिटल बैंकिंग सेवाएं मिलेंगी।

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5. क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड्स और फायदे होंगे कम

SBI और IDFC First Bank समेत कई बैंकों ने क्रेडिट कार्ड के रिवॉर्ड्स और अन्य लाभों में कटौती की है। Swiggy और विस्तारा क्लब जैसी सेवाओं पर मिलने वाले रिवॉर्ड पॉइंट्स कम हो जाएंगे।

6. निष्क्रिय UPI खाते होंगे बंद

अगर आपका UPI अकाउंट लंबे समय से सक्रिय नहीं है, तो बैंक उसे अपने रिकॉर्ड से हटा देगा, जिससे आपके यूपीआई ट्रांजैक्शन प्रभावित हो सकते हैं।

7. नए टैक्स नियम होंगे लागू

यदि आप पुरानी कर व्यवस्था (80C छूट) को नहीं चुनते हैं, तो नया टैक्स सिस्टम लागू होगा। सही विकल्प पहले से तय कर लें।

8. PAN-Aadhaar लिंक नहीं तो नहीं मिलेगा डिविडेंड

यदि PAN और Aadhaar लिंक नहीं हैं, तो डिविडेंड और कैपिटल गेन पर TDS ज्यादा कटेगा और रिफंड में देरी होगी।

9. डीमैट और म्यूचुअल फंड KYC अनिवार्य

SEBI के नए नियमों के तहत सभी निवेशकों को अपने KYC और नॉमिनी विवरण को अपडेट करना होगा, वरना उनका डीमैट अकाउंट फ्रीज हो सकता है।

निष्कर्ष

इन नए नियमों का उद्देश्य बैंकिंग प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और ग्राहक-केंद्रित बनाना है। ग्राहकों को इन बदलावों की जानकारी पहले से लेनी चाहिए ताकि वे अतिरिक्त शुल्क और पेनाल्टी से बच सकें।

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